बारिश के मौसम में बदलाव से सर्दी-जुकाम.बुखार और जगह-जगह पानी भरने से डेंगू मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियों के फैलने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस वजह से इस मौसम में अपनी सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। जरा सी लापरवाही आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
Monsoon health effects : भारत में हर किसी को मॉनसून का बेसब्री से इंतजार रहता है। मॉनसून असहनीय गर्मी और चिलचिलाती धूप से राहत दिलाता है। भारत में बरसात का मौसम जून से सितंबर तक चलता है और इसी दौरान वायरल बुखार, डायरिया, कंजक्टिवाइटिस और बहुत से अन्य दूसरे तरह के संक्रमण के मामले बहुत ज्यादा देखने को मिलते हैं। दरअसल, बरसात के मौसम में जगह-जगह इकट्ठा हुआ पानी और वातावरण में मौजूद अत्यधिक नमी तरह-तरह के वायरस और बैक्टीरिया के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं। बरसात के मौसम में पर्सनल हाइजीन के साथ ही अपने घर-पड़ोस की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए, तो आज हम आपको मॉनसून के मौसम में फैलने वाली बीमारियों से बचाव के बारे में बताने जा रहे हैं।
वायरल फीवर
यह मौसम परिवर्तन से होने वाली सबसे सामान्य बीमारियों में से एक है। मॉनसून में तापमान में गिरावट आने के कारण वायरल फीवर तेजी से फैलता है। इस दौरान मरीज में बुखार के अलावा खांसी, जुकाम, सिरदर्द और गले में दर्द जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि आप अपने मुंह और नाक को ढककर रखें। तुलसी और अदरक के काढ़ा का उपयोग करे | बुखार से ग्रसित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। दूसरे व्यक्ति के कपड़े, बर्तन, तौलिया या अन्य सामान इस्तेमाल करने से बचें। अगर बुखार ज्यादा दिनों तक बना रहता है तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं। वायरल फीवर में आयुर्वेदिक दवाएं चिकित्सकीय परामर्श से कर सकते हैं |
डायरिया
मॉनसून के दौरान दूषित पानी और खाद्य पदार्थों से तरह-तरह के बैक्टीरिया पनपने की संभावना बनी रहती है। ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से यह जीवाणु पेट में जाकर डायरिया की वजह बन सकता है। डायरिया में उल्टी, दस्त और पेट में मरोड़ आने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इससे बचने का आसान सा उपाय है कि आप बाहर का खाना खाने से बचें, दही और खिचड़ी खाएं, फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही खाएं और लगातार गर्म पानी पीते रहें।
कंजक्टिवाइटिस
मॉनसून में आंखों के संक्रमण भी देखने को मिलते हैं। कंजक्टिवाइटिस भी आंखो का एक ऐसा ही संक्रमण है, जो बरसात के मौसम में बहुत तेजी से फैलता है। आंखों का लाल होना, आंखों से डिस्चार्ज होना, आंखो में सूजन, दर्द और खुजली होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इससे बचने के लिए आपको अपनी आंखों को छूने, रगड़ने या खुजलाने से बचना चाहिए। जलभराव वाली जगहों से दूर रहने, दूसरों का मेकअप वगैरह ना इस्तेमाल करने, धूप का चश्मा लगाकर बाहर निकलने और लगातार साफ पानी से आंखों को धोने से इससे काफी हद तक बचे रहा जा सकता है। इसके अलावा गुलाब जल और द्राक्षारिष्ट का इस्तेमाल आँखों के साफ़ करने के लिए कर सकते हैं |
अन्य इन्फेक्शन्स
मॉनसून के समय ही मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसे जानलेवा इंफेक्शंस भी फैलते हैं। यह सभी संक्रमण मच्छरों के जरिए फैलते हैं। इनसे बचने के लिए जरुरी है कि आप अपने आस-पड़ोस में पानी को एकत्रित ना होने दें, जल संरक्षित करने वाले बर्तनों को नियमित रूप से धोते रहें, मच्छरों से बचाने वाली क्रीम लगाकर ही घर से बाहर निकलें और ऐसे कपड़े पहनें जिससे शरीर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा कवर रह सके।
आयुर्वेदिक दवाएं
रोग | आयुर्वेदिक दवा |
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वायरल फीवर | गिलोय घनवटी, तुलसी घनवटी |
डायरिया | बिल्व अवलेह, पुदीना चूर्ण |
कंजक्टिवाइटिस | गुलाब जल, द्राक्षारिष्ट |
अन्य इन्फेक्शन्स | नीम घनवटी, खदिरारिष्ट, अंजनी लेप |
नोट: इन दवाओं का उपयोग किसी भी रोग के इलाज के लिए खुद से न करें, बल्कि डॉक्टर की सलाह और निर्धारित खुराक के अनुसार इन्हें उपयोग करें। आयुर्वेदिक दवाएं भी विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा ही सलाहित की जाती हैं और उनके निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण होता है।
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