संक्रमण के कारण, उपचार एवं बचाव

संक्रमण के कारण एवं उपचारसंक्रमण एक प्रकार की बीमारी है जो वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या प्रोटोजोआ जैसे रोगाणुओं द्वारा होती है। यह रोगाणु एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक या वातावरण में फैल सकते हैं और विभिन्न रोगों का कारण बन सकते हैं।

संक्रमण के कारण

संक्रमण कैसे होता है? संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक या वातावरण में रोगाणुओं के संक्रमण के कारण होता है। संक्रमण के होने के कुछ मुख्य कारण :

  1. वायुमंडलीय बदलाव: जैसे कि जल्दी-जल्दी मौसम के बदलने से या मौसम के अनुकूल न होने से संक्रमण ।
  2. संपर्क के माध्यम से: संक्रमण करने वाले व्यक्ति से संपर्क के माध्यम से, जैसे कि हाथ मिलाना, छुने या उनसे समबन्ध बनाने से।
  3. खाद्य सुरक्षितता का अभाव: अशुद्ध खाने का अभाव, अधपका खाना
  4. संक्षेपण या संवेग: भीड़-भाड़ में रहने से या लंबे समय तक तनाव में रहने से ।
  5. वायुमंडलीय रोगाणु के संवेग: कुछ वायुमंडलीय रोगाणु खांसी, छींक, श्वास आदि के द्वारा
संक्रमण के कारण एवं उपचार
चित्र का लिया गया स्थान – iStock

संक्रमण के प्रकार

प्रकारउदाहरण
वायुमंडलीय संक्रमणश्वसन रोग, जुकाम और सर्दी (Common Cold and Flu), प्न्यूमोनिया (Pneumonia), दमा, टीबी (Tuberculosis)
स्त्री और पुरुष संक्रमणयौन संक्रमण रोग (Sexually Transmitted Infections), हर्पीस, घेनोरिया, सिप्लिस
खाद्य पोषण संक्रमणपेट दर्द और दस्त (Gastrointestinal Infections), जीवाणुज संक्रमण (Bacterial Infections)
वायरल संक्रमणडेंगू (Dengue), मलेरिया (Malaria), चिकनगुनिया (Chikungunya)

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संक्रामक रोग

  1. ज्यूबीली और मोर्बिली (Measles)
  2. ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
  3. चिकनगुनिया (Chikungunya)
  4. हैपेटाइटिस (Hepatitis)
  5. मलेरिया (Malaria)
  6. डेंगू (Dengue)
  7. टाइफाइड (Typhoid)
  8. तपेदिक (Tuberculosis)
  9. प्लेग (Plague)
  10. इन्फ्लुएंजा (Influenza)
  11. इंफेक्शनल मोनोन्यूक्लियोसिस (Infectious Mononucleosis)

संक्रमण से बचाव

संक्रमण से कैसे बचे? – संक्रमण से बचाव से हम अपनी सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं | संक्रमण से बचाव के उपाय

  1. हाथ धोना: समय-समय पर साबुन और पानी से हाथों को धोने से संक्रमण से बचा जा सकता है, खासतौर से खाने के समय, टॉयलेट के बाद, और बाहर से लौटने के बाद।
  2. मास्क पहनना: वायरल संक्रमण जैसे कि कोरोना वायरस (COVID-19) से बचने के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है। इससे आप और अपने आस-पास के लोगों को संक्रमण से बचा सकते हैं।
  3. स्वच्छता का ध्यान रखना: साफ़ और स्वच्छता का ध्यान रखना संक्रमण से बचने का एक और महत्वपूर्ण तरीका है। घर और आस-पास के इलाकों को साफ़ रखें, रगड़ी और सांसारिक समानों को नियमित रूप से साफ़ करें।
  4. वैक्सीनेशन: संक्रमण से बचाव के लिए उपलब्ध वैक्सीनेशन का पता करे । ये आपको संक्रमण से बचने में मदद करती है।
  5. स्वस्थ आहार: पौष्टिक और स्वस्थ आहार खाना आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है और आपको संक्रमण से बचाने में मदद करते है। फल, सब्जियां, पूरी अनाज, प्रोटीन, और पौष्टिक तत्व भरपूर खाएं।
  6. व्यायाम करें: नियमित व्यायाम करे |

संक्रमण उपचार विकल्प

  1. एंटीबायोटिक्स: एंटीबायोटिक्स संक्रमणों के लिए सबसे आम दवा हैं जो बैक्टीरियल इंफेक्शनों को खत्म करने में मदद करती हैं। उन्हें तभी उपयोग करना चाहिए जब डॉक्टर ने संक्रमण की वजह बैक्टीरिया माना हो।
  2. एंटीफंगल दवाएं: ये दवाएं फंगल संक्रमणों, जैसे कि कवकों के इलाज में मदद करती हैं।
  3. अन्य दवाएं: ये दवाएं अलग-अलग संक्रमणों के इलाज के लिए प्रयोग की जाती हैं और डॉक्टर द्वारा सलाह दी जाती हैं।
  4. एंटीवायरल दवाएं: एंटीवायरल दवाएं वायरल संक्रमणों के इलाज में काम आती हैं। ये वायरस के प्रकार और उनके प्रभावित अंग के आधार पर चुनी जाती हैं।
  5. एंटीप्रोटोजोअल दवाएं: ये दवाएं प्रोटोजोअल संक्रमणों के लिए प्रयोग की जाती हैं, जैसे कि मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होती हैं।

संक्रमण उपचार चिकित्सा पद्धति

  • एलोपथिक उपचार पद्धति
  • आयुर्वेदिक उपचार पद्धति
  • अन्य
संक्रमण का एलोपैथिक उपचार

डॉक्टर के कारणों पता लगाने के लिए कुछ आवश्यक टेस्ट करवा सकते हैं, साथ ही साथ कुछ मेडिसिन रेकमेंड करते हैं जैसे –

  1. अमोक्सिसिलिन (Amoxicillin): साधारण इंफेक्शनों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि गले के संक्रमण, श्वसन तंत्र संक्रमण आदि।
  2. एज़िथ्रोमाइसिन (Azithromycin): यह सिनुसिटिस, कुकुर्मकुटरोग, वायुमार्गीय संक्रमण आदि में दिया जाता है।
  3. डॉक्सीसैकलिन (Doxycycline or Tetracycline): तीव्र बैक्टीरियल संक्रमणों जैसे- ज्वर, प्योरिया, गर्भाशय संक्रमण आदि के इलाज में उपयोग किया जाता है।
  4. मेट्रोनिडाजोल (Metronidazole): इसका इस्तेमाल फंगल और प्रोटोजोअल संक्रमणों में होता है। जैसे मलेरिया, अमीबियाज़िस, ट्रायकोमोनाइसिस आदि।
  5. सेफैलेक्सिन (Cephalexin): बैक्टीरियल इन्फेक्शन के इलाज में होता है। जैसे कि ब्रोंकाइटिस, सांस लेने में परेशानी, कटारिया आदि।

आयुर्वेदिक उपचार पद्धति

प्राकृतिक उपचार बीमारी का इलाज करने का सबसे बेहतर तरीका है। वे बिना किसी दुष्प्रभाव के उपचार प्रदान करते हैं। अदरक, शहद, तेल अजवायन, दालचीनी, कोलाइडल चांदी, इचिनेशिया प्राकृतिक तत्व हैं जो संक्रमण उपचार में प्रयोग होते हैं । प्रारंभिक अवस्था में संक्रमण का इलाज करने के लिए ये प्राकृतिक वस्तुएं सर्वोत्तम हैं, जबकि घातक मामलों में इस पर तुरंत नियंत्रण पाने के चिकित्सकीय परामर्श एवं दवा की आवश्यकता होती है।

इन्फेक्शन में दी जाने वाली कुछ आयुर्वेदिक दवाएं
संक्रमण के प्रकारआयुर्वेदिक दवा
सर्दी जुकामगिलोय घनवटी, तुलसी घनवटी
गले के संक्रमणगुड़ूची घनवटी, खदिरारिष्ट
पेट के संक्रमणधनिया पानी, पुदीना अर्क
खांसीयष्टिमधु चूर्ण, मुलेठी चूर्ण
स्किन संक्रमणनीम घनवटी, अंजनी लेप
मलेरियागिलोय घनवटी, वसंत मल्हार रस
डेंगूपापडी चूर्ण, गिलोय घनवटी
पेशाब के संक्रमणदालचीनी पानी, गोखरू घनवटी
आंत्र संक्रमणबेहद घनवटी, अंजीर घनवटी
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