Masik dharm ke samay dard aur ainthan se chutakara pane ke saral upay ||मासिक धर्म के समय दर्द और ऐंठन से छुटकारा पाने के सरल उपाय||8010977000

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मासिक धर्म के समय दर्द और ऐंठन से छुटकारा पाने के सरल उपाय

Masik dharm ke samay dard aur ainthan se chutakara pane ke saral upay
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महिलाएं अपनी शुरुआती किशोरावस्था में दर्द से पीड़ित हो सकती हैं । ज्यादातर महिलाओं को पीरियड्स के दौरान कुछ असुविधा का अनुभव होता है और पहले दिन यह अनुभव बहुत अधिक होता है । लेकिन 5% से 10% महिलाओं को होने वाला दर्द गंभीर हो सकता है जो उनके जीवन को संकट में डालता है ।

पीरियड्स में दर्द क्यों होता है ?

महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दो तरह का दर्द होता है । पहले को प्राइमरी डिसमेनोरिया कहते हैं और दूसरे को सेकेंडरी डिसमेनोरिया । प्राइमरी डिसमेनोरिया में पेट के निचले भाग में दर्द होता है लेकिन यह कोई रोग नहीं है । यह दर्द पीरियड्स शुरु होने पर होता है और 2 से 3 दिन में ठीक हो जाता है । इस दौरान पेट के निचले भाग और जांघों में दर्द महसूस होता है और अगर गर्भाश्य में फाइब्रॉयड्स, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज या एंडोमेट्रिओसिस जैसी कोई बीमारी हो तो पीरियड्स के दौरान तेज़ दर्द महसूस होता है और इसे ही सेकेंडरी डिसमेनोरिया कहा जाता है । पीरियड्स शुरु होने से एक हफ्ते पहले यह दर्द बढ़ जाता है और कभी-कभी इसकी वजह से कब्ज, गैस की शिकायत भी होती है । अगर मां को पीरियड्स में पेन हुआ है, तो संतान को भी पेन होने की संभावना बनी रहेगी । 40% महिलाओं में पीरियड के दर्द के साथ ही कुछ लक्षण होते हैं, जैसे कि सूजन आना, स्तन का कोमल हो जाना, पेट में सूजन, एकाग्रता में कमी, मूड में बदलाव, अकड़न और थकान आना ।

प्राइमरी पेन

यह दर्द आमतौर पर किशोर लड़कियों और युवा महिलाओं को होता है क्योंकि यह पीरियड्स की शुरुआत का संकेत है । पेट में ऐंठन गर्भाशय के सिकुड़ने के कारण होती है । गर्भाशय में खून की कमी के कारण भी दर्द हो सकता है । दर्द मुख्य रूप से पेट के निचले हिस्से में होता है लेकिन जांघों के पीछे और नीचे भी जा सकता है । कुछ महिलाओं को चिड़चिड़ापन महसूस होता है । यह एक प्राकृतिक स्थिति है और कई महिलाओं के लिए बस मामूली मासिक परेशानी है । प्राइमरी पेन को गर्भनिरोधक गोली के साथ-साथ कुछ विश्राम तकनीकों से भी कम किया जा सकता है ।

सेकेंडरी पेन

यह दर्द तब तक शुरू नहीं हो सकता, जब तक कि किसी महिला की उम्र 20 साल न हो जाए । यह दर्द सिर्फ पीरियड्स के महीने तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरी पीरियड साइकल में हो सकता है । पीरियड्स हैवी और अधिक लंबे हो सकते हैं और सैक्स दर्दनाक हो सकता है । मध्यम दर्द संक्रमण सहित अन्य स्थितियों का संकेत हो सकता है, जिस पर फौरन ध्यान देने की ज़रुरत है । अगर आप 18 वर्ष से अधिक उम्र की हैं और पीरियड्स दर्द का अनुभव कर रही हैं, तो आपको गायनाकॉलजिस्ट से परामर्श करने में संकोच नहीं करना चाहिए ।

पीरियड से पहले पेट में दर्द क्यों होता है

पीरियड्स के से पहले लड़कियों को पेट में दर्द और ऐंठन जैसी समस्या शुरु हो जाती है । कभी-कभी यह सूजन भी जान पड़ती है । मगर कईं लड़कियों को पीरियड्स के दो दिन पहले से ही यह समस्या शुरु हो जाती है, जो अच्छा संकेत नहीं है । पीरियड्स से पहले और पीरियड्स के दौरान महसूस होने वाले इस दर्द को डिसमेनोरियल कहते हैं परंतु 90 प्रतिशत महिलाओं को यह समस्या यूट्रस में ऐंठन की वजह से होती है । जब यूट्रस संकुचन प्रक्रिया शुरु करता है तो प्रोस्टाग्लैंडीन हार्मोन रिलीज़ होते हैं । इसी दौरान यूट्रस से थक्के भी बाहर निकल आते हैं, जिसकी वजह से दर्द ज्यादा महूसस होता है । कईं बार इसके कारण फाइब्रॉएड और एंडोमेट्रियोसिस भी हो सकता है ।

पीरियड के दर्द से छुटकारा पाने के सरल उपाय

  • एरोमाथेरेपी तेल के साथ हॉट बाथ यानि गर्म स्नान करें ।
  • एक गुनगुने पानी की बोतल हमेशा अपने पास रखें ।
  • पीठ और पेट की मालिश करें । यह कुछ महिलाओं के लिए बेहद प्रभावी है ।
  • अपने पीरियड से पहले और पीरियड दौरान कुछ दिनों के लिए ढीले ढाले कपड़े पहनें 
  • योग जैसे कुछ कोमल व्यायाम करें । पीरियड्स से पहले नियमित विश्राम करें । यह पहले कुछ दिनों में मांसपेशियों को आराम करने में मदद करता है और गुप्त क्षेत्र में खून बढ़ाने में सुधार करता है ।

पीरियड में पेट में दर्द के लिए घरेलू उपचार

जीवन शैली को संतुलित करके पीरियड्स के दर्द को कम किया जा सकता है –

  • सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है धूम्रपान छोड़ना ।
  • गुप्त क्षेत्र में ऑक्सीजन की अधिकता को कम करके पीरियड के दर्द को बढ़ाने के लिए धूम्रपान को कारण माना जाता है ।
  • शराब का सेवन कम करें ।
  • उच्च फाइबर युक्त भोजन, सलाद और सब्जियां खूब खाएं ।
  • रोज़ विटामिन-ई की खुराक मदद करनी है ।
  • यदि आप लाल मांस खाते हैं तो देख लें कि यह दुबला है । चिकन और मछली ज्यादा खाएं ।
  • मिठास वाले पदार्थ जैसे- चॉकलेट, केक और बिस्कुट खाना कम करें ।
  • वाटर रिटेंशन से बचने के लिए अपने आहार में नमक की मात्रा कम करें ।मिठास युक्त पानी पीने की बजाय शुद्ध फलों के रस या मिनरल वाटर का चयन करें ।

पीरियड्स में होने वाले दर्द का इलाज

पीरियड के दर्द को दूर करने के लिए पेनकिलर का सेवन सही नहीं है। पेनकिलर के स्थान पर इस दर्द को दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए । इन तरीकों की मदद से आसानी से पीरियड में होने वाले दर्द में आराम पाया जा सकता है । 

गुणकारी है अजवाइन

पीरियड्स के दिनों में महिलाओं में गैस की समस्या ज़्यादा बढ़ जाती है । गैस की प्रॉब्लम की वजह से भी पेट में दर्द होता है । जिसे दूर करने के लिए अजवाइन सबसे अच्छा विकल्प है । आधा चम्मच अजवाइन में आधा चम्मच नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से पीरियड्स में तुरंत राहत मिलती है ।

अदरक का सेवन भी है फायदेमंद

पीरियड्स में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए अदरक का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद है । एक कप पानी में अदरक के टुकड़े को बारीक काटकर उबाल लें, टेस्ट के लिए आप इसमें शक्कर भी मिला सकते हैं ।

खाएं पपीता

पीरियड्स के दिनों में पपीता खाना पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है । पीरियड्स के दिनों में पपीता खाने से दर्द में भी आराम मिलता है । इससे ब्लड का फ्लो भी ठीक रहता है ।

तुलसी का इस्तेमाल

तुलसी एक नैचुरल पेनकिलर और एंटीबॉयोटिक है । अगर आपको भी पीरियड के दौरान तेज़ दर्द होता है तो चाय बनाते वक्त उसमें तुलसी के पत्ते डालकर उबालें, उससे आराम मिलेगा । 

दूध वाली चीज़ों का सेवन

पीरियड के दिनों में उन महिलाओं को ज़्यादा दर्द होता है जिनके शरीर में कैल्शियम की कमी होती है । इसलिए ऐसे समय में दर्द से बचने के लिए दूध और दूध से बनी चीज़ों का सेवन ज़रूर करें ।

गर्म पानी का सेंक

पीरियड्स में पेट और कमर में तेज़ दर्द होता है, जिससे निजात पाने के लिए गर्म पानी का सेंक करना चाहिए ।

निष्कर्ष

पीरियड्स आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसे रोका या बाधित नहीं किया जा सकता लेकिन इससे उत्पन्न दर्द और दूसरी असुविधाओं को कम ज़रुर किया जा सकता है । अगर महिलाएं कुछ सावधानियां और परहेज करेंगी तो वह पीरियड्स में होने वाली परेशानियों से आराम से बाहर आ सकती हैं । दिनचर्या में बदलाव और खान-पान में संतुलन रखकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है । 

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