बवासीर (Piles)
बवासीर को जड़ से खत्म करने का आयुर्वेदिक इलाज- बवासीर को पाइल्स (Piles) या हेमोर्रोइड्स (Hemorrhoids) भी कहा जाता है। यह एक अनुवांशिक समस्या भी है। ये गुदा-नाल में रक्त वाहिकाओं की वो संरचनाएं हैं, जो मल-त्याग को नियंत्रण करने में मदद करती हैं। इसकी वजह से गुदा के अन्दर और बाहर, या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं। मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। अगर बवासीर का समय पर इलाज न किया गया तो बहुत पुराना होने पर यह भगन्दर का रूप धारण कर लेता है जिसे फिस्टुला (Fistula) भी कहते हैं। यह मल-त्याग करने के दौरान अधिक जोर लगाने की वजह से हो सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान गुदा की नसों में दबाव पड़ने के कारण भी बवासीर की समस्या हो सकती है।
दिल्ली में बवासीर का इलाज
बवासीर यानी पाइल्स एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोग खुलकर बात करने में भी शर्मिंदगी महसूस करते हैं। अगर किसी जानने वाले को पाइल्स की बीमारी निकल आये तो लोग उसका मजाक बनाने से भी नहीं चूकते। मगर बवासीर एक गंभीर बीमारी है। यह आमतौर पर खतरनाक तो नहीं होता लेकिन अगर इससे किसी तरह की भी तकलीफ हो तो तुरंत इसका इलाज करवाने की ज़रूरत पड़ती है। बवासीर का इलाज करने के लिए इलाज के साथ अपने खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करना ज़रूरी है। इसके अलावा अगर बवासीर को बिना इलाज किये छोड़ दिया जाये तो इससे सूजन व लालिमा बढ़ जाती है।
बवासीर के प्रकार –Types of Piles
बवासीर के बारे में बात करना ज़रूरी है। इससे जूझ रहा व्यक्ति कई तकलीफों से होकर गुजरता है। बवासीर के कुछ गंभीर मामलों में ऑपरेशन तक की नौबत आ जाती है। करीब 50 प्रतिशत लोगों को उम्र के किसी न किसी पड़ाव में बवासीर की समस्या होती है।
दिल्ली में बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज
आमतौर पर बवासीर तीन प्रकार का होता है –
- खुनी बवासीर
- बादी बवासीर
- अंदरूनी बवासीर
खूनी बवासीर
खूनी बवासीर में किसी प्रकार का दर्द या तकलीफ नहीं होती है। इसमें सिर्फ खून आता है। पहले मल के साथ, फिर टपक कर, उसके बाद पिचकारी के रूप में खून आने लगता है। खुनी बवासीर में मस्सा अंदर की तरफ होता है। मगर धीरे-धीरे यह अंदर की तरफ से बाहर आने लगता है। यह मस्सा मल-त्याग के बाद खुद अन्दर चला जाता है।
बादी बवासीर
बादी बवासीर होने पर पेट खराब की समस्या से जूझना पड़ता है। इसमें ज्यादातर कब्ज बना रहता है और गैस बनती है। बादी बवासीर होने पर पेट में जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना जैसी समस्याएं बनी रहती हैं। इसमें मस्से बाहर की तरफ आसानी से देखे जा सकते हैं साथ ही इन मस्सों से खून भी नहीं निकलता। कब्ज के कारण होने वाले बवासीर को खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है।
अंदरूनी बवासीर
अंदरूनी बवासीर मलाशय के अंदर विकसित होते हैं। यह गुदा की काफी गहराई में बने होते हैं, वजह से इन्हें आसानी से देखा नहीं जा सकता। अधिकतर मामलों में अंदरूनी बवासीर अपने आप ठीक हो जाते हैं और कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं करते।
बवासीर कैसे होता है –Reason of Piles
बवासीर कई कारणों से हो सकता है। हालांकि इसका मुख्य कारण अभी तक प्रकाश में नहीं आया है। कुछ लोगों में यह अनुवांशिक भी होता है। अगर घर में किसी एक को बवासीर की बीमारी है तो बाकि सदस्यों को भी बवासीर होने की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा घंटों खड़े रहने की वजह से भी पाइल्स की दिक्कत हो जाती है। भारी वजन उठाना भी इसका एक कारण बन सकता है। आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’कहा गया है।
बवासीर होने के कारण
- अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना
- बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस इत्यादि जैसे रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहने के कारण भी बवासीर जन्म ले लेता है।
- कब्ज, बवासीर का मुख्य कारण है। कब्ज के कारण व्यक्ति मल-त्याग में जोर लगाता है, जो बवासीर का कारण बनता है।
- महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गुदा की नसों में दबाव पड़ने के कारण भी बवासीर की समस्या हो सकती है।
- शराब और धूम्रपान के अधिक सेवन से भी बवासीर की समस्या हो जाती है।
बवासीर के लक्षण – Bawasir ke Lakshan
बवासीर के बारे में लोग बात करने से कतराते हैं। यहां तक कि इसके लक्षण दिखने पर भी बात करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं। आपको समझना होगा की बवासीर भी बाकी बीमारियों की तरह एक बीमारी है। इसके लक्षण नज़र आते ही इसका इलाज करना ज़रूरी है।
- गुदा में बैठते समय दर्द होना
- मल-त्याग करते समय खून आना
- गुदा के पास दर्दनाक मस्सा होना
- मल-त्याग के बाद भी पेट साफ न लगना
- गुदा के आसपास खुजली, सूजन या लालिमा का होना
- बार-बार मल-त्याग की इच्छा होना, लेकिन मल न निकलना
बवासीर का उपचार – Bavasir ka Upchar
बवासीर कोई ऐसी बीमारी नहीं है, जिसका इलाज न हो। मल-त्याग में खून आने पर, गुदा पर मस्सा नज़र आने पर जैसे बताये गए लक्षण दिखाई देते ही तुरंत इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए। वैसे तो बवासीर के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर की सलाह लेना उचित होता है।