Treatment for blood drops in stool मल में बलगम और रक्त का आना एक चिंताजनक है । यह एक संवेदनशील आंत्र संबंधी बीमारियाँ जैसे (इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम, अल्सरेटिव कोलाइटिस) आदि रोगों का संकेत हो सकता हैं । इसके अलावा यह बवासीर जैसी मामूली समस्या का भी संकेत हो सकता है । फैटी लीवर, कोलोरेक्टल कैंसर जैसी अधिक गंभीर स्थिति में म्यूकस आना सामान्य हैं । म्यूकस के संभावित कारणों, लक्षणों और उपचार के विकल्पों को समझने के लिए लेख को अंत तक पढ़े । और मलाशय में बलगम की समस्या से छुटकारा पाए
क्रोहन रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस – Blood or mucus in stool
अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis in hindi) आंतो की बीमारी है । जिसका बड़ी आंत में लम्बे समय के लिए सूजन और जलन जैसे लक्षण देखने को मिलता हैं । इस जलन और सूजन की वजह से बड़ी आंत के मलाशय कोलन और रेक्टम में छाले हो जाते है ।
यह बीमारी आपके पाचन तंत्र पर बुरा असर डालती है और सही समय पर इलाज न कराने पर खतरे का कारण भी बन सकता है ।
इसमें शरीर का प्रतिरक्षी तंत्र (immune system) असाधारण रूप से कमजोर हो जाते हैं । जिससे बाहरी कीटाणुओं की बजाय वह बड़ी आंत के ऊपर ही आक्रमण करने लगता है जिसके कारण बड़ी आंत में सूजन और जलन होने लगता है ।
अल्सरेटिव कोलाइटिस (symptoms of ulcerative colitis in hindi) के लक्षण ?
अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) में लक्षण धीरे-धीरे समय के साथ दिखाई देते है । ये लक्षण बीमारी की गंभीरता के अनुसार बदलते है ।
बीमारी के कुछ लक्षण है जो दिखाई देते हैं वो हैं
- दस्त के साथ पस और खून आना
- पेट में दर्द और मरोड़
- मल में खून पाया जाना (blood in stool)
- मलाशय में दर्द (rectal pain)
- तुरंत मलोत्सर्ग करने की इच्छा (sudden urge to defecate)
- वज़न का घटना, थकावट, या बुखार
- मुँह में छाले
- बच्चों के बढ़ने में दिक्कतें आना (growth delays)
कैसे करें अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) का इलाज ? Medicine for blood in stool
हालांकि इस बीमारी का कोई एक इलाज नहीं है, मेडिकल सहायता से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है और जीवन-शैली को बेहतर किया जा सकता है |
“अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) के इलाज का मुख्य उद्देश्य है लम्बे समय के लिए लक्षणों से छुटकारा पाना | यह ज़्यादातर दवाइयों से किया जा सकता है, परन्तु अगर आपकी हालत ज़्यादा गंभीर हो जाती है तो सर्जरी भी एक रास्ता है |”
कई प्रकार की दवाइयों द्वारा लक्षणों से राहत पाया जा सकता है |
प्रज्वलनरोधी दवाइयाँ (Anti-inflammatory medicines)
यह दवाइयाँ बड़ी आंत की सूजन को कम करने का सबसे पहला उपाय है | इनमें से कुछ है कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स (corticosteroids) जिनको मुँह से या मलाशय में सपोसिटरी के द्वारा लिया जा सकता है |
प्रतिरक्षी तंत्र के प्रभाव को कम करने की दवाइयाँ (Immunity system suppressors)
यह दवाइयाँ प्रतिरक्षी तंत्र के प्रभाव को कम करके आंत की सूजन को घटाने में मदद करती है |
इन दवाइयों के साथ साथ आपको कुछ विशेष लक्षणों को मैनेज करने के लिए दूसरी दवाइयों की भी ज़रूरत पड़ सकती है | इनमें से कुछ है – एंटीबायोटिक्स, दस्त की दवाई और दर्द से राहत पाने की गोली | चिकित्सकीय परमर्श हेतु कॉल करे
सर्जरी – Treatment for Blood or mucus in stool
कई मामलों में सर्जरी करने से आंत की सूजन को खत्म किया जा सकता है | “इस क्रिया में पूरी आंत और मलाशय को ही निकाल दिया जाता है और आपकी छोटी आंत के अंतिम हिस्से से एक छोटा सा थैली बना दिया जाता है | इस थैली के द्वारा आप बिना मलाशय के मलोत्सर्ग कर पाते है|”
डॉ. ज्योति अरोरा ने विवेक को कुछ प्रज्वलनरोधी गोलियाँ लिख कर दी ताकि उसके आंत की सूजन कम होजाए | उन्होंने विवेका को कुछ Immunity system suppressors भी लेने को कहाँ ताकि उनको लम्बे समय तक इन लक्षणों से राहत मिल सके |
डॉक्टर ने विवेक को एक हफ्ते बाद फिर जांच के लिए आने को कहाँ |
जाते जाते विवेक ने पुछा – “ulcerative colitis me kya khana chahiye ?”
अल्सरेटिव कोलाइटिस से राहत पाने के लिए कुछ आसान उपाय – Treatment for Blood or mucus in stool
इस बीमारी से जूझना कभी-कभी मुश्किल लगता है, परन्तु जीवनशैली में कुछ सुधार कर स्वस्थ जीवन पा सकते है |
यह साबित नहीं है कि खान-पान से यह बीमारी होती है, कुछ खाद्य पदार्थ इसके लक्षणों को बड़ा सकती है |
डॉ. ज्योति ने विवेक को अपने खानपान के रूटीन पर ध्यान रखने को कहाँ ताकि वह उन चीज़ों से परहेज़ कर सके जिससे उनके लक्षणों पर बुरा असर पड़ रहा है |
अल्सरेटिव कोलाइटिस से जूझने के कुछ सुझाव –
- दूध के पदार्थ कम खाएँ – दूध से बने हुए खाद्य पदार्थों से परहेज़ करने से पेट दर्द और गैस से काफी राहत मिलती है |
- पार्ट पार्ट में भोजन करे – पूरे दिन में 5 से 6 बार भोजन करने से इस बीमारी से राहत मिलती है |
- पानी ज़्यादा पिए – इस बीमारी में पानी पीना सबसे अच्छा होता है | यह दस्त के समय भी मदद करता है |
- तनाव कम लें – हालांकि तनाव आंत में सूजन का कारण नहीं है, लेकिन ज़्यादा तनाव लेने से हालत गंभीर हो सकते है |
इन सब बातचीत के बीच एक चीज़ जो विवाहित विवेका को खाई जा रही थी वह थी – “इस बीमारी के चलते क्या मैं कभी माँ बन पाऊँगी?”
अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis- treatment for Blood or mucus in stool in hindi)
ज़्यादातर किस्सों में अल्सरेटिव कोलाइटिस होने के बावजूद महिला माँ बन सकती है | परन्तु इस बीमारी के चलते अगर आप बच्चे की प्लैनिंग कर रहीं हो तो उसके पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर कर लें | डॉक्टर की मदद से आप गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान अपना पूर्ण रूप से सही ख्याल रख पाएँगी |
डॉ. ज्योति ने विवेक से कहाँ – “यह बेहद्द ज़रूरी है की गर्भावस्था के दौरान अल्सरेटिव कोलाइटिस को अच्छे से मैनेज किया जाए | माँ बनने की कोशिश शुरू करने से पहले मेरे साथ चर्चा ज़रूर कर लें |”
अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis in hindi) से पक्की राहत पाना भले ही मुमकिन ना हो परन्तु सही इलाज एक स्वस्थ जीवन जीने में सहायता कर सकता है |