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Piles Treatment In Hindi : बवासीर का इलाज हिंदी में जानिए
Piles Treatment In Hindi : बवासीर का इलाज ज्यादा मुशिकल नहीं है, बवासीर के लक्षण और बवासीर के कारण को जानकर बवासीर के उपचार अपना सकते हैं। अगर आप भी बवासीर की बीमारी से पीड़ित हैं,तो ऐसे में बवासीर से जुड़ी पूरी जानकारी (लक्षण, कारण और उपचार) के अलावा लाइफस्टाइल में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। इसलिए आज हम आपको बवासीर क्या है, बवासीर के लक्षण, बवासीर के कारण और बवासीर के उपचार के अलावा बवासीर की सावधानी के बारे में भी बता रहे हैं। आइए जानते हैं बवासीर से जुड़ी जरूरी जानकारी-
Piles Treatment In Hindi : आमतौर पर बवासीर 45 साल से 65 साल के लोगों में होने वाली बेहद सामान्य बीमारी होती है, लेकिन गलत लाइफस्टाइल की वजह से अब ये बीमारी 35-45 की उम्र के लोगों में भी होने लगी है। ऐसे में जरुरी परहेज के अलावा बवासीर से संबंधित जरूरी जानकारी होना बेहद आवश्यक है। जिससे समस्या को बढ़ने से रोका जा सके। आइए जानते हैं बवासीर क्या होता है ? बवासीर की स्टेज क्या है ? बवासीर के लक्षण क्या है ? बवासीर के कारण क्या है ? बवासीर का इलाज क्या है ? बवासीर की दवा, बवासीर का ऑपरेशन और बवासीर की सावधानियां क्या है ? बवासीर क्या होता है ?
बवासीर क्या होता है ?(What is Piles ?)
बवासीर यानि पाइल्स गंभीर बीमारियों में से एक मानी जाती है। इसे चिकित्सा भाषा में हेमरॉइड्स (Hemorrhoids)कहा जाता है। इस बीमारी में गुदा यानि एनिस के अंदरुनी और बाहरी हिस्से में और रेक्टम (मलाशय) की नसों में सूजन आ जाती है। नसों में सूजन के अलावा ऐनस के अंदर और बाहर या किसी एक जगह मस्से डेवलप हो जाते हैं, जो कभी अंदर रहते हैं, तो कभी बाहर भी आ जाते हैं। एक शोध के मुताबिक अमेरिका में लगभग 50 फीसदी लोगों में बवासीर के लक्षण पाए गए हैं।
बवासीर को चार स्थितियों में बांटा जाता है (Piles Stages)
- बवासीर की पहली स्थिति – इसमें गुदा के आसपास सूजन होती है गुदा के अंदर छोटे आकार के मस्से होते हैं। जो आमतौर पर दिखाई नहीं देते।
- बवासीर की दूसरी स्थिति – इसमें मस्से का आकार बड़ा होता है और ये गुदा के अंदर होते हैं लेकिन कई बार ये मल के धक्का लगने से बाहर आ जाते हैं, पर इन्हें अंदर किया जा सकता है।
- बवासीर की तीसरी स्थिति – बवासीर के तीसरे स्तर को प्रोलैप्सड बवासीर के नाम से भी जाना जाता है। इसमें मस्से गुदा के बाहरी हिस्से पर डेवलप होते हैं, जिन्हें पीड़ित बाहर लटका हुआ महसूस कर पाता है।
- बवासीर की चौथी स्थिति – ये स्थिति सबसे ज्यादा तकलीफदेह होती है। इसमें गुदा के बाहरी हिस्से पर छोटी गांठ डेवलप होती है, जिसमें दर्द के साथ खुजली का एहसास होता है। ऐसे में अगर इस गांठ में रक्त जमा हो, तो इसका समय से इलाज करवाना बेहद जरूरी होता है।
बवासीर के लक्षण (Piles Symptoms)
- आमतौर पर बवासीर (Piles) के लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं। दरअसल पाइल्स गुदा के आसपास एक सख्त दर्दनाक गांठ महसूस होना। जमे हुए रक्त वाली गांठ को थ्रॉम्बोस्ड पाइल्स कहा जाता है। ये बाहरी सतह पर होती है।
- स्टूल पास (मल त्याग) करने के बाद भी बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को आंत्र (पेट) साफ न होने का एहसास होता है।
- मल त्याग के बाद रक्त आना ।
- गुदा के आस पास के क्षेत्र में खुजली होना और लाल रंग के निशान होना।
- मल के त्यागने के दौरान दर्द होना।
इन स्थितियों में बवासीर हो सकती है गंभीर
- अगर बवासीर से पीड़ित व्यक्ति एनीमिया (रक्त की कमी) से भी पीड़ित हो, तो उसके लिए बवासीर बेहद तकलीफदेह साबित हो सकता है।
- गुदा से अत्याधिक रक्त स्राव होने पर।
- मल त्याग को नियंत्रित करने में असमर्थता।
- इंफेक्शन होने पर।
बवासीर के कारण (Piles Causes)
- गर्भावास्था
- कब्ज
- डायरिया
- भारी वजन उठाना
- आनुवांशिक और बढ़ती उम्र
बवासीर का इलाज (Piles Treatment In Hindi)
- आंतरिक बवासीर का इलाज
आंतरिक बवासीर के लिए डॉक्टर्स डिजिटल रेक्टल टेस्ट (DRE)या प्रॉक्टोस्कोप का उपयोग कर सकते हैं। प्रॉक्टोस्कोप लाइट लेस एक खोखली ट्यूब होती है जिसे गुदे में डालकर मलाशय के अंदर छोटे ऊतकों का सैंपल लेकर टेस्ट के लिए भेजा जाता है।
डॉक्टर एक डिजिटल रेक्टल परीक्षा (DRE) कर सकता है या एक प्रॉक्टोस्कोप का उपयोग कर सकता है। एक प्रोक्टोस्कोप एक खोखली ट्यूब होती है जो प्रकाश से सज्जित होती है। यह डॉक्टर को गुदा नहर को करीब से देखने की अनुमति देता है। वे मलाशय के अंदर से एक छोटे ऊतक का नमूना ले सकते हैं।
इसे फिर विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जा सकता है। इसके अलावा डॉक्टर्स बवासीर के साथ पाचन तंत्र संबंधी बीमारियों और कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण दिखाई देने पर कोलोनोस्कोपी टेस्ट के लिए भी रेफर कर सकते हैं।
बवासीर का घरेलू उपचार (Piles Treatment At Home)
- अगर आप बवासीर से परेशान हैं, तो ऐसे में नमक वाले गर्म पानी के टब में बैठना यानि Sitz Bath लाभदायक होता है। इससे गुदे की मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द के साथ सूजन भी कम होती है। Sitz Bath लेते समय गर्भवती महिलाओं के लिए ज़्यादा गर्म पानी के टब में बैठना शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। स्नान गुनगुने पानी से ही करें और गर्भावस्था की सावधानियों का ख्याल रखें।
- बवासीर के घरेलू उपचार में मूली का उपाय सबसे असरदार माना जाता है। मूली के रस में नमक मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें और रस में शहद मिलाकर गुदा के आसपास के हिस्से पर लगाने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है।
- हमेशा हल्के और ढीले-ढाले कपड़े पहनें, इसके साथ प्राइवेट पार्ट्स की नियमित रुप से सफाई करें।
- नियमित रुप से 8-10 गिलास पानी पीएं और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें।
बवासीर की दवा (Piles Medicine)
- बवासीर को दवाओं के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है। इसके लिए ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाएं यानि पेनकिलर, क्रीम और पैड शामिल होते हैं। जिससे गुदा के पास की सूजन और दर्द को कम किया जा सके। लेकिन 7 दिनों से ज्यादा इन दवाओं का उपयोग करना घातक हो सकता है। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर ही दो या दो से अधिक दवाओं का सेवन करें।
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- कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स ये गुदे के पास की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती है।
- लूज मोशन – अगर आप लंबे समय से कब्ज से पीड़ित हैं, तो ऐसे में डॉक्टर्स पीड़ित को लूज मोशन की दवा दे सकते हैं। जिससे गुदे के निचले कोलन पर दबाव कम किया जा सके।
बवासीर का सर्जिकल ऑपरेशन (Piles Surgical Operation)
आमतौ पर बवासीर दवाओं से ठीक होने वाली बीमारी है, लेकिन कई बार ये गंभीर रुप ले लेती है तो सर्जिकल ऑपरेशन की जरुरत पड़ती है। बवासीर से पीड़ित लगभग 10 में से 1 को सर्जरी से गुजरना होता है।
- बैंडिंग
बवासीर की चौथी यानि सबसे गंभीर स्थिति में बैंडिंग की जरुरत होती है। इसमें डॉक्टर मस्से से रक्त प्रवाह को रोकने के लिए लोचदार बैंड लगाता है। जिससे कुछ दिनों के बाद, रक्तस्राव बंद हो जाता है। ये तरीका सभी तरह सभी बवासीर के इलाज के लिए प्रभावी साबित होता है।
- स्क्लेरोथेरेपी
इस स्थिति में सूजन को कम करने के लिए दवा इंजेक्ट की जाती है। जिससे बवासीर यानि मस्से धीरे-धीरे सिकुड़ने लगते हैं। आमतौर पर ये तरीका बवासीर की दूसरी और तीसरी स्थिति में बेहद कारगर होता है। इसे बैंडिंग का ऑप्शन भी माना जाता है।
- इन्फ्रारेड तकनीक
इस प्रक्रिया में एक उपकरण का उपयोग रक्तस्रावी ऊतक को जलाने के लिए किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग प्राय : बवासीर की पहली और दूसरी स्थिति में किया जाता है।
- हेमोराहाइडेक्टोमी
इस प्रक्रिया में रक्तस्राव कर रहे है अतिरिक्त ऊतक को सर्जरी करके हटा दिया जाता है। ये बेहद ही मुश्किल सर्जरी होती है। क्योंकि इसमें रीढ़ की हड्डी,मल पास करने में कठिनाई होने के साथ ही मूत्र पथ में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
- हेमरॉइड्स स्टेपलिंग
यह प्रक्रिया आमतौर पर हेमोराहाइडेक्टोमी की तुलना में कम दर्दनाक होती है लेकिन यह प्रक्रिया हेमरॉइड्स के दुबारा आने और मलाशय (रेक्टम) के आगे बढ़ने के जोखिम को बढ़ा सकती है, जिसमें मलाशय का हिस्सा गुदा (Anus) से बाहर धकेलता है।
बवासीर के समय की सावधानियां (Precautions Of Piles)
- लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं
- शरीर का वजन कम करना
- डॉक्टर की सलाह पर कैफीन युक्त चीजों का सेवन कम करना
- हाई फाइबर फूड का सेवन करना
- तनाव लेने से बचें।
- बवासीर के लिए एक्सरसाइज करें
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