मूत्रविज्ञान क्या है ?
यूरोलॉजी/मूत्रविज्ञान मेडिकल साइंस का ऐसा विभाग है जो महिलाओं और पुरुषों के मूत्र-तंत्र प्रणाली से जुड़ी समस्याओं और पुरुषों के प्रजनन संबंधी समस्या के इलाज से संबंधित है | मूत्रविज्ञान के अंतर्गत पीडियाट्रिक यूरोलॉजी, यूरोलॉजिक कैंसर, रीनल ट्रांसप्लांट, कैलक्यूली और फीमेल यूरोलॉजी भी शामिल हैं |
कब करें यूरोलॉजिस्ट (मूत्र रोग विशेषज्ञ) से बात ?
मूत्रविज्ञान के विशेषज्ञ डॉक्टर को यूरोलॉजिस्ट कहा जाता है | यूरोलॉजिस्ट बच्चों और बड़ों दोनों का इलाज करते हैं | रीनल स्टोन, जननांग में चोट, पेशाब रोकने में तकलीफ, पेशाब करते समय दर्द, स्तंभन दोष आदि जैसी परेशानियों के लिए मूत्र विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए |
हमारे यूरोलॉजिस्ट करते हैं इनका इलाज
हमारे साथ जुड़े यूरोलॉजिस्ट इन समस्याओं के लक्षणों का इलाज करते हैं : पथरी, पेशाब का संक्रमण और पेशाब न रोक पाना, सेक्सुअल ट्रांसमिशन रोग | अन्य समस्याएं जैसे की – पेशाब में खून, बार बार पेशाब जाना का इलाज भी मुमकिन है| यदि आपको भी ऐसी कोई समस्या है तो एक यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करें
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पेशाब में खून – पेशाब में खून की स्तिथि को हिमैटूरिया कहा जाता है, यह आमतौर पर पुरुषों में ज़्यादा देखा जाता है | इसके कोई अन्य लक्षण नहीं होते, केवल पेशाब में खून नज़र आ सकता है | यदि पेशाब में खून की गांठे आ रही हैं तो यह दर्दनाक अनुभव हो सकता है | कैंसर, अनुवांशिक विकार, मूत्राशय में पथरी, पेशाब या किडनी का संक्रमण आदि इसके कारण हो सकते हैं |
डिसउरिया/पेशाब में जलन – पेशाब के दौरान दर्द, असुविधा, जलन होना डिस्युरिया का संकेत है | पेशाब के संक्रमण (यूटीआई ) के कारण लोगों को डिसउरिया का अनुभव हो सकता है | यूटीआई महिलाओं , गर्भवती महिलाओं और डायबिटिक लोगों में ज़्यादा देखा जाता है | आमतौर पर बड़ी उम्र के पुरुषों में भी यह देखा जाता है |
पोलिउरिया – बार बार पेशाब जाने को पोलिउरिया कहते हैं | जब 1 दिन में 2.5 लीटर से ज़्यादा मात्रा में पेशाब आए तो इसे एक्सेसिव यूरिनेशन कहते हैं | सामान्य मात्रा 2 लीटर होती है लेकिन यह उम्र और लिंग पर निर्भर करता है | यदि रात में बहुत ज़्यादा पेशाब आए तो इसे नॉक्टर्नल पोलिउरिया या नोक्टउरिया कहते हैं | इसके कारण हैं : मूत्राशय का संक्रमण, डायबिटीज और इंटरस्टिशिअल नेफ्रैटिस |
पथरी/किडनी स्टोन – किडनी में मिनरल्स के जमा हो जाने के कारण पथरी हो जाती है | ज़्यादातर पथरी का आकार बहुत छोटा होता है और वे पेशाब के ज़रिए बाहर निकल जाती हैं | लेकिन कुछ का आकार काफी बड़ा हो जाता है, और ये युरेटर में अटक जाती हैं जिस कारण बहुत तेज़ दर्द हो सकता है | इसके लक्षण हैं : पेट और जांध के बीच के भाग में दर्द, पेशाब में खून, जी मिचलाना, डिसउरिया |
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पेशाब की कमी/ओलिगउरिया – ओलिगउरिया के दौरान एक वयस्क पूरे दिन में 400 मिलीलीटर से कम पेशाब करता है | बच्चों के मामलों में उनके पेशाब की मात्रा और उनके वज़न के अनुपात से मापा जाता है | इसके कारण हैं : शरीर में पानी की कमी और रीनल फेलियर |
यूटीआई/पेशाब का संक्रमण – मूत्र प्रणाली के अंतर्गत – किडनी, युरेटर, मूत्राशय और यूरेथ्रा आते हैं, इनमें से किसी में संक्रमण होना यूटीआई कहलाता है | यह महिलाओं में ज़्यादा देखा जाता है | इसके होने के कारण हैं : यौन संचारित रोग जैसे की – गोनोरिया, माइकोप्लास्मा और क्लैमाइडिया |
पेशाब रोक न पाना – इसके दौरान व्यक्ति पेशाब को रोक नहीं पाते और इसी कारण उनके कपड़े गीले हो जाते हैं | यह महिलाओं को होना आम बात है | इसके होने के कारण : मल्टीपल प्रेगनेंसी, महिला संबंधी रोग, मोटापा और धूम्रपान | इलाज के लिए मूत्राशय की ट्रेनिंग, दवाईयों और सर्जरी का तरीका अपनाया जा सकता है