कल्याण आयुर्वेद- बवासीर जिसे अंग्रेजी भाषा में पाइल्स कहा जाता है. बवासीर एक खतरनाक बीमारी है. बवासीर के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं. एक खूनी बवासीर और दूसरा बादी बवासीर . आमतौर पर देखा गया है. कि बवासीर 40 से 60 साल की उम्र में होता है. लेकिन यह इससे पहले भी हो सकता है. बवासीर की बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है जो घर में पीढ़ियों से चली आ रही हो. बवासीर इतनी खतरनाक बीमारी है कि यह आखिर समय में कैंसर का खतरनाक रूप भी धारण कर सकता है.
बवासीर होने के मुख्य कारण-
मलाशय और गुर्दों की वाहिनी में सूजन हो जाता है.
इस लेख में आपको बवासीर के लक्षणों की विस्तार से जानकारी दी जा रही है. बवासीर को शरीर में आए फर्क के आधार पर देखें तो बवासीर दो प्रकार की होती है. बाहरी( बादी )बवासीर और आंतरिक( खुनी ) बवासीर. 1 .बाहरी बवासीर- बाहरी बवासीर में रोगी के गुदा के आस पास बहुत सारे मस्से होने लगते हैं.
जिसमें सिर्फ खुजली होती है और दर्द नहीं. लेकिन यह खुजली इतनी तेज होती है कि जब तक रोगी इसे खुजलाएं तो वहां पर रक्त न आ जाए. इतना तेज खुजली होती है.
2 .आंतरिक बवासीर- आंतरिक बवासीर में फर्क इतना है कि यह मस्से गुदे के अंदर होते हैं और जब नित्य क्रिया करते समय व्यक्ति जोर लगाता है तो यह काफी तकलीफ और दर्द देते हैं.
जिस वजह से खून आने लगता है. इसके अलावा कुछ निम्न लक्षण भी बवासीर रोगियों में देखे गए हैं. * खुजली इसका प्रमुख लक्षण है और मलाशय में कुछ अटकने का अहसास होना. * जिन्हें बादी बवासीर होती है उन्हें काले रंग के मस्से होते हैं. * जिन्हें बाबासीर होती है दर्द और जलन यह दो प्रमुख लक्षण है.
* नित्य क्रिया करते समय मस्सों का बाहर आना, कई बार यह स्वयं ही अंदर की ओर चले जाते हैं. लेकिन कई बार मस्सों को धकेलना पड़ता है. * टॉयलेट करते समय रक्त स्राव हो जाता है. यह कभी बूंद बूंद तो कभी धार में प्रवाह होता है..
बवासीर होने से 1 महीने पहले शरीर देता है यह संकेत-
* गुदा में खुजली होना. * अपच की समस्या होना. * मल से भयंकर बदबू का आना. * मल त्याग की बार-बार इच्छा होना और दिन में कई बार शौच जाना.
* गुदा पर ज्यादा पसीना आना. इस तरह के संकेत मिले तो आप समझ ले कि आपको बवासीर यानी पाइल्स होने वाली है. बवासीर दूर करने का घरेलू उपाय- बवासीर बहुत ही पीड़ादायक बीमारी होती है. इसका दर्द असहनीय होता है.
आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय अपनाकर बवासीर से छुटकारा पाया जा सकता है.
1 .फाइबर युक्त आहार- अच्छे पाचन क्रिया के लिए फाइबर से भरा आहार बहुत जरूरी होता है. इसलिए अपने आहार में वसा युक्त आहार जैसे- साबुत अनाज, ताजे फल और हरी सब्जियों को शामिल करें. साथ ही फलों के रस की जगह फल खाएं.
2 .छाछ- बवासीर के मस्सों को दूर करने के लिए छाछ यानी मट्ठा बहुत ही फायदेमंद होता है. इसके लिए करीब 2 लीटर छाछ लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और स्वादानुसार नमक मिला दें. प्यास लगने पर पानी के स्थान पर इसे पिए. चार दिनों तक ऐसा करने से मस्से ठीक हो जाएंगे.
इसके अलावा प्रतिदिन दही खाने से बवासीर की संभावना बहुत कम हो जाती है और बवासीर होने पर भी लाभ होता है.
3 .त्रिफला चूर्ण- नियमित त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है. जिससे बवासीर से राहत मिलती है. इसके लिए रात को सोने से पहले एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है.
4 .जीरा- छोटा सा जीरा पेट की समस्याओं के लिए रामबाण की तरह फायदेमंद होता है. जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसने से लाभ होता है या आधा चम्मच जीरा पाउडर को एक गिलास पानी में डालकर पिए. इसके साथ जीरे को पीसकर मस्सों पर लगाने से भी लाभ होता है.
5 .अंजीर- सूखा अंजीर बवासीर के इलाज के लिए एक अद्भुत आयुर्वेदिक उपचार है.
एक या दो सूखे अंजीर को लेकर रात भर के लिए गर्म पानी में भिगो दें. सुबह खाली पेट इसको खाने से लाभ होता है. 6 .तिल- खूनी बवासीर में खून को रोकने के लिए 10- 12 ग्राम धुले हुए काले तिल को लगभग 1 ग्राम ताजा मक्खन के साथ खाना चाहिए. इसके सेवन से बवासीर से खून आना तुरंत बंद हो जाता है.
7 .हरीतकी- हरड के रूप में लोकप्रिय हरीतकी कब्ज को दूर करने का एक बहुत ही अच्छा आयुर्वेदिक उपाय है. हरीतकी चूर्ण आधा से एक चम्मच रात को सोने से पहले गुनगुने पानी से लेने से या गुड़ के साथ हरड़ खाने से बवासीर की समस्या से निजात मिलता है.
8 .बड़ी इलायची- लगभग 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जला लीजिए. ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीसकर चूर्ण बना लें.
इस चूर्ण को नियमित रूप से सुबह पानी के साथ खाली पेट सेवन करने से बवासीर की समस्या दूर हो जाती है.
9 .आंवला- आयुर्वेद में आंवला को अमृत माना जाता है. इसके सेवन से शरीर में आरोग्य शक्ति को बढ़ावा मिलती है. आंवला पेट के लिए बहुत लाभदायक होता है.
बवासीर की समस्या होने पर आंवले के चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है. 10 .नीम- नीम के छिलके सहित निबोरी के पाउडर को प्रतिदिन 10 ग्राम सुबह- शाम पानी के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है. इसके अलावा नीम का तेल मस्सों पर लगाने से और इस तेल की 45 बूंदे प्रतिदिन पीने से बवासीर जल्दी ठीक हो जाता है.